Wednesday, February 24, 2010

होली

होली निस्संदेह भारत में एक विख्यात परवा है और पुरे जोश के साथ मनाया जाता है. इसकी शुरुअत को लेकर अलग अलग तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं. इन सबके साथ साथ मैं इसके पीछे एक कारण और मानता हूँ जो पढने, सुनने में हो सकता है हास्यास्पद लगे. चूँकि फ़रवरी माह के अंत तक सर्दी कम हो जाती है तो किसी ने यह दिखाने के लिए की सर्दी कम हो गई, जान बुझकर पानी में भीग गया होगा. और उसने किसी दुसरे व्यक्ति को भिगो दिया होगा. फिर उस दुसरे ने पहले के ऊपर मिटटी दाल दी होगी और उसके बाद पहले ने दुसरे के ऊपर मिटटी डाल  दी होगी. और उनको देख किसी और ने भी ऐसा ही किया होगा. जब इस तरह से बहुत लोग इकट्ठे हुए होंगे तो उन्होंने ढोल नगाड़े बजायेंगे होंगे और जोश ही जोश में नृत्य भी किया होगा और आनंद लिया होगा. धीरे धीरे वर्ष पर्यंत ऐसा हुआ होगा तो लोगों ने सोचा होगा की ये परमपरा है. तो वो इसे आगे भी मनाते चले आये. और यह एक त्यौहार बन गया. कालान्तर में धुल मिटटी का स्थान रंग और गुलाल ने लेलिया. और इसी तरह होली सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक ही दिन मनाया जाता है. इसका वैज्ञानिक कारण ये भी है की पुरे भारत में सर्दी एक साथ ख़त्म होती है तो ये सर्दी के जाने और गर्मी के आने के संकेत के रूप में जश्न के साथ मनाया जाता है और सन्देश देता है की भाई लोगों अब सर्दी गई, जमके नहाओ........निस्संदेह मैं पौराणिक कथाओं को भी मानता हूँ. और इसी के साथ होली का शुभ सन्देश...
झूम के खेलो होली
रंगों से रंगों रंगोली

मन की मिटटी हटाओ
प्रेम की मिटटी लगाओ

जो प्यार से समझे समझा दो
वरना धुल मिटटी में लिपटा दो

और जोश से बोलो....सारी बात मखोली है....बुरा न मनो होली है!!!!!!!
होली है...............डन डाना डन डन  डन डाना डन डन डन डाना डन डन
धूम मचले धूम मचले धूम
होली HAIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII

4 comments:

  1. Kya baat hai guru, maja aa gaya...........

    Wish u and all readers a very happy Holi.....

    ReplyDelete
  2. bhai apki soch ka vistar aur vicharo ko tarksangat roop me rakhana wakai parsanshniya ha.....

    Holi manane ke samband me apke vichar evam holi ke liye apka swagat gaan samayanoorup ha...

    ishi tarah se apne vicharo se apne chahne walo ko rubroo karwate rahe...

    ReplyDelete
  3. well that must be " dhoom machale"............

    anyway........
    nice thought.......

    ReplyDelete
  4. ye soch bhi badhiya hai...vo kehte he na...dil ko khush rakhne ke liye..galiab ye khyal bhi acchha hai. HAPPY HOLI

    ReplyDelete