Friday, November 19, 2010

दायरा

दुनिया मै आने के साथ ही
मुझे आवश्यकता थी
ज्ञान की
कि दी जा सके
सही मायनों में शिक्षा
आँख और कान खुलने के साथ ही
दिलवाया गया प्रवेश
स्कूल और कॉलेज में.

ताकि बढ़ सके दायरा
सही और सार्थक दिशा में
मेरी सोच और अभिलाषाओं का
ज्ञान पाकर कुछ दे सकूँ
पुनः इस संसार को
समझूँ सामाजिक सरोकारों को.

परन्तु ज्ञान के साथ साथ मिले
भांति भांति के लोग
मेरी अभिलाषाएं
अवांछित इच्छाओं में बदल गईं
विमुख हो गई दिशा
नहीं रही व्यावहारिकता.

जीवन चलाने के लिए
जरुरी थी एक नौकरी
वो मिली भी
परन्तु मैंने भुला दिए
शिक्षा के सही मायने
संसार के प्रति अपने दायित्व.

अब बस उड़ता हूं
मिथ्या कल्पनाओं में
सपनो में देखता हूं
एक बड़ा सा महल
बड़ा ही बैंक बैलेंस
और एक खुबसूरत स्त्री का साथ

बस यही रह गया है
मेरी शिक्षा और सोच का
दायरा!

5 comments:

  1. इसके लिए समझ नहीं आता किसे दोष दिया जाये ? हमारे पालन पोषण को, हमारी शिक्षा को, हमारे समाज को या खुद को ? लेकिन एक विचार मन में आता है की चाहे सभी गलत हों लेकिन इंसान को खुद अपने प्रति और अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए.
    और मैं समझती हूँ की हर इंसान में इतनी समझ तो है ही.
    बहुत सुंदर रचना लिखी है...बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती.

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  2. dayere samay ke sath sath badalte hain.bhavabhivyakti achhi hai aur ye so called dayere se hi utpann hoti hai

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  3. जीवन चलाने के लिए
    जरुरी थी एक नौकरी
    वो मिली भी
    परन्तु मैंने भुला दिए
    शिक्षा के सही मायने
    संसार के प्रति अपने दायित्व. ...

    बहुत सोचने वाला लिखा है आपने ... पर ये शायद आज की शिक्षा पद्धति का भी कसूर है ... अच्छी रचना है ..

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  4. अब बस उड़ता हूं
    मिथ्या कल्पनाओं में
    सपनो में देखता हूं
    एक बड़ा सा महल
    बड़ा ही बैंक बैलेंस
    और एक खुबसूरत स्त्री का साथ

    EK BAAT KAHU DOST TUJH JAISA SAMAJHDAAR TO NAHI PHIR BHI KOSHISH KARTA HU LAST LINES KA MATLAB THODA SAMAJH NAHI AA RAHA THA YE BHI NAHI JANTA TUNE AISA KYON LIKHA JAHAN TAK ME TUJHE JAANTA HU TU AISA NAHI HE, BADAE SE MAHAL MAIN KYA KARIGA AGAR WAHA APNE NAHI. BADE BANK BALANCE KA KYA KARGA AGAR APNE PRIYA OR JAROORATMAND PER KARCH NAHI KIYA. OR LAST BUT MSOT IMPORTANT KYA USKA KHUBSURAT HONA HI IMPORTANT HE USKE MAN KA KHUBSURAT HONA JAROORI NAHI TUM PAYAR US SE KARTO HO YA KHOOBSURTI SE

    JITENDRA

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