Wednesday, September 1, 2010

जश्न, शर्त, ग़ज़ल, बादलों की जरुरत, क़र्ज़

1.  जश्न

मैं
हर उस ख़ुशी का
जश्न मनाने से डरता हूं
जिसे
खोना नहीं चाहता...!!!


२.   शर्त

तू कहे तो
मैं अपनी
हर ख़ुशी पर
तेरा नाम लिख दूँ,
शर्त यह है
कि तू
तेरे किसी गम में
मुझे
भागीदार बना ले..!!!


३.   ग़ज़ल

चाहता हूं
तेरी हर अदा पर
ग़ज़ल कहूँ
मगर मेरे लफ़्ज़ों में,
तुझ जैसी खूबसूरती कहाँ..!!!


४. बादलों की जरुरत

भोर की
पहली किरण के साथ ही
आज देखली सबने
तेरे गेसुओं की घटाएं,
तो बरसने के लिए
बादलों की
कहाँ जरुरत है भला...!!!


५. क़र्ज़

तेरे लबों से
मांगी थी उधार
थोड़ी सी मुस्कुराहट
आज तक
अदा नहीं कर पाया,
ब्याज भी
तेरे क़र्ज़ का....!!!