Monday, April 8, 2019

रायसीना की पहाड़ी


कोलाहल है

बड़ी बड़ी बातों का

झँसो का-आश्वासनों का।



कोई पढ़ा लिखा है

किसी ने लिखा पढ़ा है।



कुछ ही हैं बातें

जो सोची समझी हैं

बाकी सब नासमझी हैं।



सबकी अपनी अपनी सवारी है

किसी का किसान किसी का मंदिर

किसी का गड्ढे किसी का व्यापारी

किसी का गरीब किसी का बेरोजगार।



पतवार आएगी

भरोसे की;

नौकरी का

कर मे कमी का

सड़क का

सस्ती बिजली और पानी का।



हाथ कमल साइकिल

आदि आदि मे से एक

उसी पतवार से पहुचेगा

रायसीना की पहाड़ी के

उस पार

जहा सत्ता है

ताकत है।



पहाड़ी का कद

हो जाएगा ऊंचा

हर बार की तरह

और

ताकता रह जाएगा नाविक

उसकी ऊंचाई!!!