Friday, June 3, 2011

मगर अफ़सोस

मैं तो बस यूँ ही
दिल को बहलाने के लिए
दर्द के टुकड़ों को
संजो संजोकर
कविता चुन लेता हूँ
मगर अफ़सोस
लोग उसमे भी मज़ा लेते हैं...!!!

11 comments:

  1. isme afsos kis cheez ka????????????

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  2. अफसोस! वाकई! दर्द की टीस का भी अपना मज़ा है।

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  3. अब मज़ा न लें तो आपको और अफ़सोस होगा ...

    पन्त जी की पंक्तियाँ याद आ रही हैं ..वियोगी होगा पहला कवि , आह से उपजा होगा गान , उमड़ कर आँखों से चुपचाप , बही होगी कविता अनजान

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  4. dard ke tukdon ke sang rahna sabko achha lagta hai

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  5. मज़ा लेने वाले इस दिल के दर्द को क्या जाने

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  6. कविता में भी दर्द....
    ___________________

    'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!

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  7. जब टुकड़े कीजियेगा तब दर्द होगा ही ...वैसे संगीता दी के कथन से सहमत हूँ.....

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  8. दर्द और और कविता का तो चोली दामन का साथ है ......

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  9. dil ke chhalon ko koi shayri kahe to gam nahi hota
    dard to tab ubharta hai jab aap wah! wah! karte hain.

    niece

    pradeep

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  10. mazaa aa gaya ........kasam se

    ..........exceelent

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