Monday, October 7, 2013

क्षणिकाएं

१. 
मुझे ऊँचाई पर चढ़ने का 
बहुत शौक था 
ऊंचाई पर पहुंचा तो पाया 
वहाँ,
"पर" काम नहीं करते!

२. 
करने वाला कुछ 
ग़लत नहीं करता 
अच्छा या बुरा यह,
ज़माना तय करता है!

३. 
अवसर देता दस्तक 
हर द्वार-हर घर 
कुछ पहचान लेते हैं 
कुछ कहते हैं,
बाद में आना!

४. 
किनारों का वजूद नदी से है 
नदी का किनारों से 
किनारे फ़र्ज़ अदा करते हैं 
नदी वक्त निकलने पर 
बिगाड़ देती है!

3 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-

    नवरात्रि की शुभकामनायें-

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  2. अवसर देता दस्तक
    हर द्वार-हर घर
    कुछ पहचान लेते हैं
    कुछ कहते हैं,
    बाद में आना! ..

    बहुत खूब ... लाजवाब ओर सत्य ... अपनी अपनी किस्मत की बात है ...

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