पहली नज़र में
तेरे ही लब
मुझ पर मुस्कुराये थे
बदले में गर मैंने,
तेरे लबों का
साथ दे दिया
और अब जब
रोज़ तेरे होठों से
शबनम पीने की
आदत सी हो गई है
तो लोग मुझे
शराबी क्यूँ कहने लगे हैं...!!!
जीवन बहती हवाओं का संगम है। हमारे विचार और भावनाएं भी इन हवाओं के संग बहते रहते हैं। इस ब्लॉग में मैंने कुछ ऐसे ही उद्गारो को अपनी लेखनी से उतारने की कोशिश की है। आपकी समालोचनाओं का स्वागत है। आशा है आप मुझे बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। ब्लॉग पर आपका स्वागत हैI