जीवन बहती हवाओं का संगम है। हमारे विचार और भावनाएं भी इन हवाओं के संग बहते रहते हैं। इस ब्लॉग में मैंने कुछ ऐसे ही उद्गारो को अपनी लेखनी से उतारने की कोशिश की है। आपकी समालोचनाओं का स्वागत है। आशा है आप मुझे बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। ब्लॉग पर आपका स्वागत हैI
Friday, February 11, 2011
पहली नज़र में
पहली नज़र में
तेरे ही लब
मुझ पर मुस्कुराये थे
बदले में गर मैंने,
तेरे लबों का
साथ दे दिया
और अब जब
रोज़ तेरे होठों से
शबनम पीने की
आदत सी हो गई है
तो लोग मुझे
शराबी क्यूँ कहने लगे हैं...!!!
Dear CS Devendra K Sharmaji "Man without Brain" क्या बात है ! … सच है , पहले लत लगा देते हैं , और फिर … … … :) और श्रेष्ठ लिखने के लिए शुभकामनाएं हैं ।
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं ! - राजेन्द्र स्वर्णकार
देवेन्द्र जी शबनम को आधार प्रदान करने के लिये...एवं उसकी सुन्दरता में निखार के लिये.वृक्ष की हरी पत्ती चाहिये..अतः इस दिशा में आपका सहयोग अपेक्षित है। प्रत्येक मांगलिक अवसर पर आप वृक्ष लगायें........दूसरों से भी लगवायें...........और हमें इसकी सूचना दें। आपका एक कदम हमारे अस्तित्व के लिये संजीवनी सिद्ध होगा।
Don't wait until it's too late to tell someone how much you love, how much you care. Because when they're gone, no matter how loud you shout and cry, they won't hear you anymore.
sunder rachna
ReplyDelete...
Dear CS Devendra K Sharmaji
ReplyDelete"Man without Brain"
क्या बात है !
… सच है , पहले लत लगा देते हैं , और फिर … … … :)
और श्रेष्ठ लिखने के लिए शुभकामनाएं हैं ।
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुंदर रचना ....
ReplyDeleteसुंदर रचना ....
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
waah ustad waah.........
ReplyDeleteखूबसूरत रचना
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी शबनम को आधार प्रदान करने के लिये...एवं उसकी सुन्दरता में निखार के लिये.वृक्ष की हरी पत्ती चाहिये..अतः
ReplyDeleteइस दिशा में आपका सहयोग अपेक्षित है। प्रत्येक मांगलिक अवसर पर आप वृक्ष लगायें........दूसरों से भी लगवायें...........और हमें इसकी सूचना दें।
आपका एक कदम हमारे अस्तित्व के लिये संजीवनी सिद्ध होगा।
सुंदर रचना ...
ReplyDeleteवाह, बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबधाई इस अच्छी कविता के लिए।
mene kaha tha n tujhse k padne k baad jyda pasand aayegi
ReplyDeletemast likha he
Beautiful expression !
ReplyDeletebadiya manobhavon ke prastuti
ReplyDeleteadhar to adhir karte hi hai .....sundar bhav..
ReplyDeleteVery interesting thought which is delivered even more beautifully :)
ReplyDeleteहाँ लोग गलत हैं...प्रेमी कहना चाहिए ।
ReplyDeleteprem ras me sarabor rachna..
ReplyDeleteKya baat hai sir ji, maja aa gaya, aapki rachna ko anubhav kar ke...............
ReplyDeleteDon't wait until it's too late to tell someone how much you love, how much you care. Because when they're gone, no matter how loud you shout and cry, they won't hear you anymore.
ReplyDeleteबधाई इस अच्छी कविता के लिए।
ReplyDeleteप्रेमदिवस की शुभकामनाये !
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
क्या अंदाज़ हैं ! अच्छी रचना
ReplyDeleteकमाल है.... विदाउट ब्रेन ऐसी प्यारी रचना ??
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बधाई इस अच्छी कविता के लिए.....
ReplyDelete1 haqiqat yahan bhi dekhain....
ReplyDeletehttp://rajey.blogspot.com/
रोज़ तेरे होठों से
ReplyDeleteशबनम पीने की
आदत सी हो गई है
तो लोग मुझे
शराबी क्यूँ कहने लगे हैं...!!!
कविता अच्छी है मगर आदत अच्छी नहीं है. हा हा हा ...........
क्या बात है !
ReplyDeleteKunwar Kusumesh ji ne bahut sahi kaha hai ...
कविता अच्छी है मगर आदत अच्छी नहीं है. हा हा हा ...........
Andaje-bayan achchha laga..
ReplyDelete