Friday, February 11, 2011

पहली नज़र में


पहली नज़र में
तेरे ही लब
मुझ पर मुस्कुराये थे
बदले में गर मैंने,
तेरे लबों का
साथ दे दिया
और अब जब
रोज़ तेरे होठों से
शबनम पीने की
आदत सी हो गई है
तो लोग मुझे
शराबी क्यूँ कहने लगे हैं...!!!

27 comments:

  1. Dear CS Devendra K Sharmaji
    "Man without Brain"


    क्या बात है !
    … सच है , पहले लत लगा देते हैं , और फिर … … … :)
    और श्रेष्ठ लिखने के लिए शुभकामनाएं हैं ।

    बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. सुंदर रचना ....

    बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

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  3. waah ustad waah.........

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  4. देवेन्द्र जी शबनम को आधार प्रदान करने के लिये...एवं उसकी सुन्दरता में निखार के लिये.वृक्ष की हरी पत्ती चाहिये..अतः
    इस दिशा में आपका सहयोग अपेक्षित है। प्रत्येक मांगलिक अवसर पर आप वृक्ष लगायें........दूसरों से भी लगवायें...........और हमें इसकी सूचना दें।
    आपका एक कदम हमारे अस्तित्व के लिये संजीवनी सिद्ध होगा।

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  5. वाह, बहुत बढ़िया।

    बधाई इस अच्छी कविता के लिए।

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  6. mene kaha tha n tujhse k padne k baad jyda pasand aayegi

    mast likha he

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  7. adhar to adhir karte hi hai .....sundar bhav..

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  8. Very interesting thought which is delivered even more beautifully :)

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  9. हाँ लोग गलत हैं...प्रेमी कहना चाहिए ।

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  10. Kya baat hai sir ji, maja aa gaya, aapki rachna ko anubhav kar ke...............

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  11. Don't wait until it's too late to tell someone how much you love, how much you care. Because when they're gone, no matter how loud you shout and cry, they won't hear you anymore.

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  12. बधाई इस अच्छी कविता के लिए।

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  13. प्रेमदिवस की शुभकामनाये !
    कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

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  14. क्या अंदाज़ हैं ! अच्छी रचना

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  15. कमाल है.... विदाउट ब्रेन ऐसी प्यारी रचना ??
    शुभकामनायें !

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  16. बधाई इस अच्छी कविता के लिए.....

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  17. 1 haqiqat yahan bhi dekhain....


    http://rajey.blogspot.com/

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  18. रोज़ तेरे होठों से
    शबनम पीने की
    आदत सी हो गई है
    तो लोग मुझे
    शराबी क्यूँ कहने लगे हैं...!!!


    कविता अच्छी है मगर आदत अच्छी नहीं है. हा हा हा ...........

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  19. क्या बात है !
    Kunwar Kusumesh ji ne bahut sahi kaha hai ...
    कविता अच्छी है मगर आदत अच्छी नहीं है. हा हा हा ...........

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