Monday, February 27, 2012

घूस (गुस्ताखी माफ़)!

(सनद रहे कि घूस लेना और देना अनैतिक भी है और अपराध भी)....

घूस, तुम हो कण कण में व्याप्त
हर अच्छे भले इंसान के ह्रदय का भाग.

मैं तुम पर क्या कविता लिखूंगा
कोशिश करूंगा तो अपना ही उपहास करूँगा.

तुम्हारा स्तर मेरी कलम से कहीं उंचा है
तुम्हारी महिमा जो न जाने, उसको केमिकल लोचा है.

बंद फाइलें तुम खुलवाती
खुली फाइलें  तेज चलवाती
हर काम-धाम की गति बढ़ाती
फिर भी नादानों के मुख व्याधि कहलाती.

तुम मेरे लिए तो सबसे बढ़ी शक्ति हो
कोई ऐरी गैरी व्याधि नहीं, सर्वोत्तम औषधि हो.

जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए
खुद को मैं असमर्थ सा पाने लगूं
तुम्हे याद करके मुस्कुरा देता हूँ
और लिफाफा टेबल के नीचे से सरका देता हूँ.

तुम्हारी विशेषता भी अपूर्व है
तुम्हे देने वाला भी और पाने वाला भी खुश है
ऐसी अद्भुत गुण की तुम स्वामिनी हो
सर्वशक्तिमान वज्रपथ गामिनी हो.

तुम्हारे आगे नित नित शीश झुकाता हूँ
निस्वार्थ भाव से एक विनती करता हूँ
तू अपना दाम, रुतबा बढ़ा, लगा होड़ पे होड़
कसम तुझे अपने वजूद की, बस मेरा पीछा छोड़...:)

7 comments:

  1. तुम्हारे आगे नित नित शीश झुकाता हूँ
    निस्वार्थ भाव से एक विनती करता हूँ
    तू अपना दाम, रुतबा बढ़ा, लगा होड़ पे होड़
    कसम तुझे अपने वजूद की, बस मेरा पीछा छोड़...:)

    यह तो अदभुत हास्य रस है,देवेन्द्र भाई.
    आपने तो 'घूंस' को भी 'घूंस'दे डाली है.
    आपकी प्रस्तुति पर ताली बजाने का मन करता है.
    पर बजा नहीं रहा हूँ,कहीं आप उसे मेरी 'घुंस'
    न मान लें.

    अब यदि 'घूंस' पीछा नहीं छोड़ रही तो आ जाईएगा
    मेरे ब्लॉग पर.'मेरी बात...' पर अपनी कुछ कहियेगा जी.

    ReplyDelete
  2. goosh. jugaad ye to hamare best frinds hai :P
    sarcasm at its best :)
    loved it !!

    ReplyDelete
  3. oops...dats vry impi 4 evry1 to tk n give.:D
    bt on a serious note aap nahi sudhrenge.....behtareen is the word for it:)

    ReplyDelete
  4. सटीक अभिव्यक्ति.
    होली की हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  5. वाह ...बहुत ही बढि़या।

    ReplyDelete