(शीर्षक वाला गाना कुछ ज्यादा ही हाल ही में प्रचलित हुआ.....इस पर कविता तो नहीं बन सकती...हाँ, तुकबंदी की जा सकती है.....आशा है आप भी इस स्वाद का आनंद लेंगे.....)
देखकर इस पोस्ट को न हो अचम्भित भाई
यह है आधुनिक सेलिब्रिटी नाम जलेबी बाई
बहुतों अनजान थे इससे अब कुछ पहचान पाई
जब से मल्लिका खाकर इसे स्क्रीन पर आई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
कई मिठाइयां रूखी हुई कई मिठाइयां फीकी
गोल गोल जब यह घूमी नाम कमाकर आई
काम धंधा सब छोड़ तुम भी गोल गोल घुमो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई...
सावन आया वाष्प उठी घनी घटा छाई
गोल ही बदरा बने गोल ही वर्षा आई
छाता छत बरसाती सब छोड़ दो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
फेसबुक ब्लोगिंग से क्या ख़ाक नाम कमाओगे
खुद लिखोगे खुद ही अपना पढ़ते रह जाओगे
कुछ गोल गोल सा मीठा स्वीटा लिखो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
गोल गोल ही दुनिया है गोल गोल ही तू बोल
स्वाद सारी दुनिया का तू बस अपनी जुबान से तोल
छोड़ दे सब खाना पीना नाम एक रट ले रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई.....
देखकर इस पोस्ट को न हो अचम्भित भाई
यह है आधुनिक सेलिब्रिटी नाम जलेबी बाई
बहुतों अनजान थे इससे अब कुछ पहचान पाई
जब से मल्लिका खाकर इसे स्क्रीन पर आई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
कई मिठाइयां रूखी हुई कई मिठाइयां फीकी
गोल गोल जब यह घूमी नाम कमाकर आई
काम धंधा सब छोड़ तुम भी गोल गोल घुमो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई...
सावन आया वाष्प उठी घनी घटा छाई
गोल ही बदरा बने गोल ही वर्षा आई
छाता छत बरसाती सब छोड़ दो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
फेसबुक ब्लोगिंग से क्या ख़ाक नाम कमाओगे
खुद लिखोगे खुद ही अपना पढ़ते रह जाओगे
कुछ गोल गोल सा मीठा स्वीटा लिखो रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई....
गोल गोल ही दुनिया है गोल गोल ही तू बोल
स्वाद सारी दुनिया का तू बस अपनी जुबान से तोल
छोड़ दे सब खाना पीना नाम एक रट ले रे भाई
फूल माला चढ़ा जप लो नाम जलेबी बाई जलेबी बाई.....
ha.ha.ha.ye b khoob rahi.
ReplyDeletewaah ji waah kya tukbandi ki hai......nyc 1:)
ReplyDeleteHi..
ReplyDeleteSang aapke humne bhi to..
Khoob jalebi yahan pe khayi..
Sabko gol ghuma kar ke wo..
Ban naithi hai Jalebi Bai..
Haan Jalebi Bai..haan jalenbi bai..
Hothon par muskaan hai chhai..
Dekh yahan bhi JALEBI BAI..
SUNDAR JALEBI BAI JI..
DEEPAK..
जलेबी बाई, हमने तो जलेबी खाई
ReplyDeleteWah Devendra jI...Man Without Brain itna kuch kar sakta hai to with brain kya karega???
ReplyDeleteकविता हो या तुकबंदी, जलेबी में चाशनी की मात्रा एकदम ठीक है :) व्यंग्य होते हुए भी हल्का फुल्का रहे, ज़ायका तो सही तभी रहता है :)
ReplyDeleteVery Interesting and wonderfull information keep sharing
ReplyDeleteearth day party activities
ReplyDeleteHey i looked into your content and i think it is a great piece of art
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