अभी सन्डे को सुबह सुबह हम वैले ही रोज की तरह गली से गुजर रहे थे. गली के नुक्कड़ वाली चाय की थडी के पास आठ दस लोगो में जोर शोर से गुफ्त गूं चल रही थी. एक बुजुर्ग चाचा से हमने ऐसे ही पूछ लिया-चाचा ऐसा क्या ज्वलंत मुद्दा छाया हुआ है अभी तो चुनाव भी निकल गए. वो बोले - देखो बेटा, अभी हाल ही में कोई महिला 'संरक्षण' नामक बिल पास हुआ है तो उसी की चर्चा है और हम बुजुर्ग तो एक नेताजी की बात का कि "अगड़ों कि बेटियां संसद में आएँगी और लड़के उन्हें देखके पीछे से सीटी बजायेंगे", से पूरी तरह सहमत है. तुम बताओ बेटा. तुम तो नौजवान हो. हम सही कह रहे हैं कि नही?
मैंने कहा-देखो चाचा हम तो इस विधेयक से बहुत खुश हैं कि देश की महिलायें भी राजनीति में आएँगी तो आगे तो बढेंगी ही. पर अफ़सोस बस इतना है कि हम उन्हें 'आरक्षण' देकर कमजोर बना रहे हैं. जिसे एक बार बैसाखी के सहारे चलने कि आदत हो जाती है वो दौड़ में कभी विजेता नहीं बन पाता. खैर छोड़िए, इतनी बड़ी बड़ी बाते करना हमारे लिए छोटा मुंह बड़ी बात होगी. रही बात सीटी की तो उससे भी हमें कोई एतराज नहीं है. चाचा एक बात बताओ-आपके घर में बिटिया है कि नहीं?? चाचा बोले- हाँ है, पर तू उसके लिए क्यों पूछ रहा है? हमने कहा-चाचा नाराज़ मत होइए, हम तो बस इतना कह रहे हैं कि प्रेशर कूकर उसको देखके सीटी बजाता है कि नहीं!!! देखो चाचा, महिलाओं के राजनीति में आने के अनेक फायदे हैं जैसे-संसद का माहोल हरा भरा रहेगा. गाली गलोच बंद हो जायेंगे. सदन से नेताओं का बहिर्गमन नहीं होगा. नेता अपनी हाजरी पूरी देंगे. संसद में भी कॉलेज जैसा माहोल रहेगा. वही कही बगल में कैंटीन खुल जाएगी तो डेटिंग कि समस्या भी ख़त्म. एक बड़ा फायदा ये भी है कि संसद के आस पास बाजार डेवेलप हो जाएगा. होकर जोर जोर से चिल्लायेंगे-लिपस्टिक लेलो...., काजल लेलो....., कंघा लेलो....., आइना लेलो..... आदि आदि. अब जहां महिलाओं का बाज़ार होगा पुरुष तो लम्बी दूरी होने के बावजूद वही से गुजरेंगे चाहे घर जाने में लेट हो जाएँ. अब जहां पब्लिक होगी बाजार का विकास तो होना ही है और लगे हाथ देश में आर्थिक मंदी कि समस्या भी ख़त्म. इतना सुनकर चाचा मुस्कुराने लगे. बोले - बेटा तुम बात तो सही कह रहे हो. अभी जाकर तेरी चची को सीटी बजाता हूं. चाचा गुनगुनाने लगे...."बीड़ी जलैले जिगर से पिया..............जिगर मा बड़ी आग है...आग है........."!!!!!!
BHAI SAHAB AAPKI SOCH KA VISTAR AUR VISTAR KI SEEMA ...KITNA POSITVE OUTLOOK HE APKA.. KABILE TAARIF AUR AARTHIK MANDI SE NIZAAT PANE KA EK VYAHVARIK RASTA...WAH..
ReplyDeleteअच्छा व्यंग...इसे किसी तरह मुलायम जी को भिजवाईये.
ReplyDeleteनेता अपनी हाजरी पूरी देंगे. संसद में भी कॉलेज जैसा माहोल रहेगा. वही कही बगल में कैंटीन खुल जाएगी तो डेटिंग कि समस्या भी ख़त्म. एक बड़ा फायदा ये भी है कि संसद के आस पास बाजार डेवेलप हो जाएगा. होकर जोर जोर से चिल्लायेंगे-लिपस्टिक लेलो...., काजल लेलो....., कंघा लेलो....., आइना लेलो.....
ReplyDeleteव्यंग करने में माहिर हैं ......!!
जिगर मा ..आग है......बहुत खूब .......!!
युवा वर्ग की प्रतिक्रिया पढने को मिली, उन्हें चिंतित होना भी चाहिए, पता नहीं आरक्षण का अगला रूप क्या हो..! व्यंग्यात्मक शैली अच्छी लगी।
ReplyDeleteek sateek kataksh jo purush pradhan samaj ko sochne par majbur kar de ki purush mahilaaon ko lekar apna najariya badle ...agar aise vicharak ho to samaj jaroor badlega..bahut khub janab
ReplyDeleteHA HA HA HA HA HA HA HA......
ReplyDeleteSaans le loon.....
HA HA HA HA HA HA HA HA......
aji ise to mulayam n bahanji ko bhejo fatafat.............
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