कल तक मेरे जाने के नाम से भी भरती थीं तुम सिसकियाँ
आज बड़ी बेदर्दी से कहती हो............
कौन हो तुम मेरे!
तेरे लबों कि हरारत ने किया था कैद मुझको
उन्ही लबों से तुम आज कहती हो........
कौन हो तुम मेरे!
तेरी आँखों की शरारत ने डुबोया था मुझको
बेहया सी नज़रें चुराकर तुम आज कहती हो.........
कौन हो तुम मेरे!
तेरे वजूद कि करीबी ने जीना सिखाया था मुझको
दूर जाकर तुम आज कहती हो...........
कौन हो तुम मेरे!
तेरी खुली खुली जुल्फों के साए ने सोना सिखाया था मुझको
जुल्फों को समेटकर तुम आज कहती हो......
कौन हो तुम मेरे!
कल तक मेरी खुशबू , मेरी आहटों से पहचानती थीं तुम मुझको
अजनबी सी बनकर तुम आज कहती हो ........
कौन हो तुम मेरे!!!
A fab put up, to make ur heart yearn for someone, somthing made only 4 uuuuuu, awsummm....
ReplyDeletekaun ho tum mere jane kyo pyar is mod par chla aata hai ek shaqs doosre ko pehchaan nahi pata hai
ReplyDeletewww.anubhuti-abhivyakti.blogspot.com
देवेन्द्र जी पता नहीं उसकी क्या मजबूरी होगी...बहुत ही बढ़िया...उच्च स्तर की रचना.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeleteसुपरिचित का अपरिचित में बदलना यथार्थ है
ReplyDeleteक्योंकि बीच में सुविधा के साथ स्वार्थ है
कल तक मेरे जाने के नाम से भी भरती थीं तुम सिसकियाँ
ReplyDeleteआज बड़ी बेदर्दी से कहती हो............
कौन हो तुम मेरे!
Aah!
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