Friends, this is the first story, I have ever written. Everything in the story is fictitious though it may seem like some 'aap beeti'....just enjoy this sentimental beautiful story:
सुबह के साढ़े नो बजे मैं हमेशा कि तरह अपने ऑफिस में पंहुचा. घडी अपने निर्धारित समय से दस मिनट ज्यादा दिखा रही थी. मन ही मन लग रहा था आज कुछ हटके होने वाला है. कुछ अजीब सा अहसास मन में लिए मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया था. फिर अपना ईमेल चेक किया. आज फिर उसी का ईमेल आया था जिसका मुझे पिछले कई महीनो से इंतज़ार था.
आज उसने अपने दिल के सारे उदगार उसमे उतार दिय थे, एक छोटी सी अनकही सी प्रेम कहानी के साथ. ख़त में हमारे डेढ़ महीने के साथ की यादें साफ झलक रही थी जब उसने और मैंने एक ही ऑफिस में काम किया था. कुछ हसीं ठिठोलियाँ हो जाया करती थी, चंद चुटकुले और कुछ मस्ती भरे शेर. बस इससे ज्यादा कुछ नहीं था. पर आज का उसका ख़त अपने आप में बहुत कुछ कह रहा था और एक अनकहा सा प्यार अपने आप में समेटे हुआ था.
लिखा था:-"क्या कोई किसी से सिर्फ डेढ़ महीने के साथ में ही इतना प्यार कर सकता है? क्या तुमने मुझे ठीक से पहचान लिया था? और तुमने इतने से दिनों में ही मेरे बारे में इतना बड़ा क्यों सोच लिया था? मैं तो तुम्हारे लिए सिर्फ अजनाबी थी न! फिर हमारा तो मज़हब भी अलग था! हम पहले कभी मिले भी तो नहीं थे! ना कभी साथ पढ़े, न खेले, न देखा!
फिर तुम मुझे देखकर इतना कयूँ मुस्कुराते थे? बात बात पर मुझे हसाने कि कोशिश क्यों करते थे? मुझे हँसते देख तुम्हे बहुत अच्छा लगता था न!. फिर मुझे छोड़कर मुंबई क्यूँ चले गए थे? क्या तुम्हारे लिए नौकरी मुझसे भी ज्यादा जरुरुई थी? मैं तुमसे ऐसा तो नहीं चाहा था! चलो मान लेती हूं तुम्हारी भी कोई मजबूरी रही होगी! पर ऐसी भी क्या मजबूरी थी कि मुझसे मिलना तो दूर एक फ़ोन तक नहीं किया. क्या कभी सोचा मैंने तुम्हारे बिना कैसे खुद को समझाया? तुम्हारी याद को छुपाने के लिए मैंने अपनी सहेलियों से एक्साम कि टेंशन के बहाने बनाये . तुम्हारी तस्वीर को हमेशा दिल में छुपाये रखा ताकि मेरी भीगी आँखों में झांककर कोई पहचान ना ले कि इनमें कही ना कही तुम्हारी सूरत और इंतज़ार छिपा है.
फिर तुम्हारा २५ मार्च २००८ का वह ईमेल जिसमे तुमने मोहब्बत को जाहिर करने कि अल्ल्हड़ खता की थी. उसमे तुम्हारी पंक्तियाँ -"भोली सी इन आँखों ने फिर इश्क कि जिद कि है, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है". उसमे लिखा तुम्हारा एक एक शब्द मेरी धड़कने बढ़ा रहा था. साँसे असंतुलित सी हो रही थी. हाथ पैर कांपने लगे थे. दिमाग काम करने कि हालत में नहीं रहा था. तुम्हारा वह ख़त मुझे सदमा सा पहुचने वाला था. क्युकी मुझे तुम्हारे सीधेपन को देखते हुए इसकी कभी उम्मीद नहीं थी. माना कि दिल के किसी कोने में मैंने तुम्हे बसा के रखा था. और ऐसे ही तुम्हारे इज़हार भरे किसी ख़त का मुझे इंतज़ार था. तुम्हारा वह ख़त पाकर मुझे लगा था शायद मेरा सोमवार का व्रत सफल हो गया है. और कुछ देर बाद मैंने सोच लिया था तुम्हे ख़त लिखकर तुम्हारे प्यार को स्वीकार करलूं और मेरे नाम के पीछे से 'जी' से शब्द हटाने का अधिकार तुम्हे दे दू. मैंने तुम्हे अंगीकार करने का फैसला कर लिया था. और तुम्हे अपना जवाब देने ही वाली थी.
फिर अगले ही पल तुम्हारा दूसरा ईमेल मिला जिसमें तुमने लिखा था कि जो तुमने अब तक कहा वो मज़ाक था. तुम मुझे चिरकुट बना रहे थे. वह सब अप्रैल फूल बनानके के लिए किया था. तुम्हारे उस दुसरे ख़त ने मुझे और भी गहरा सदमा दिया. मैं उस दिन पूरी तरह बिखर चुकी थी. मेरा रोम रोम पीड़ा कि आग में जल रहा था.मेरे चेहरे पर आई अचानक पसीने कि बुँदे बहुत कुछ बयान कर रही थी. फिर बार बार के तुम्हारे तर्क वितर्क से मैं हार चुकी थी. मैंने मान लिया था कि वो तुम्हारा एक मज़ाक ही था और अब वो ख़तम हो चूका है. मैं अपने अर्मानो का गला घोंट चुकी थी. बार बार खुद को कोस रही थी कि पांच लम्हों पहले अगर तुम्हे जवाब दे देती तो शायद इस तरह बिखरने से बच जाती. तुम्हारे उस ख़त को मैं मीठा ज़हर समझकर पी गई थी. और उसके बाद आज जब डेढ़ साल गुज़र चूका है तुम्हे भुलाने में काफी हद तक सफल रही हूं.
आज फिर तुम्हारा ईमेल मिला. तुमने लिखा है:-"मैंने कब कहा कि तू मिल ही जा मुझे पर गैर ना हो मुझसे तू बस इतनी हसरत है तो है". और कि तुम्हारा वो ख़त मज़ाक नहीं प्यार का इजहार ही था. आज फिर मुझे सोचने पर मजबूर किया. लेकिन इसने मुझे उतना गहरा सदमा नहीं दिया. तुम्हारे जख्म खा खाकर मैं अब कठोर हो चुकी थी. आज के तुम्हारे ख़त का मेरे पास सपष्ट जवाब था. अब तुम मेरे लिए एक अबूझ पहेली बन चुके हो. मैंने तुम्हारा डेढ़ साल तक इंतज़ार किया. परन्तु तुमने वफ़ा नहीं कि और मैं बावफा होकर भी बेवफा बन गई. अब तुम मेरे लिए एक गैर हो, मैं किसी और कि होने वाली हूं. मेरी अब से तीन दिन बाद अपने ही पुराने किसी क्लास मेट से शादी होने वाली है. शायद तुमने वो मज़ाक नहीं बनाया होता तो आज भी मुझ पर सिर्फ तुम्हारा हक़ था. मगर अब बहुत देर हो चुकी है. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना".
अब उसका ख़त ख़त्म हो चूका था और मुझे भी अपना जवाब मिल गया था. मेरी अपनी खाई हुई चोटें गहरी होती जा रही थीं. मेरी भावनाएं ताश के पत्तों कि तरह बिखर चुकी थीं. मैं ऑफिस से बाहर निकलकर आसमान में झाँकने लगा था. लग रहा था मानो पक्षी उड़ना भूल चुके हैं. हवा थम सी गई है. आसमान सिकुड़ चूका है. पेढ़ रूखे हो चुके हैं. चारो तरफ शान्ति छाई हुई है और एक वीरान दुनियां में मैं सिर्फ अकेला खड़ा हूं. लग रहा है जैसे सूरज हमेशा के लिए डूब चूका है. मेरा साया ही मुझसे कह रहा था.."अब कुछ नहीं साथ मेरे बस हैं खताएं मेरी". और मुंह से सिसकियों के साथ महज़ कुछ लफ्ज़ निकले जा रहे थे.."क्या तुम इतनी भी नादाँ थी कि न समझ सकीं ऐसा मज़ाक भी कोई करता है भला???
Kahanee ne dilme ek kasak chhod dee...
ReplyDeleteBadi sundar lekhan shaili hai aapki..
ReplyDeletesir bahut hi accha likha he
ReplyDeletehum to apki lekhan shaily ke kayal hi ho gaye he
very good presentation
ReplyDeleteAPKE LIKHNE KE ANDAZ KE HAM TO KAYAL HO GAYE HE... AISA LAGTA HA HAR SABD DIL KI GAHRAI SE NIKLA HA... APKE BAYAN KARNE KA ANDAZ DIL AUR DIMAG PAR EK AMIT CHAP CHODTA HE.... LAGTA HE YE KAHANI NAHI, APKE JIVAN KI EK SACCHAI HE... AAP AISE HI LIKHTE RAHE YE HAMARI DUWA HA....
ReplyDeleteWAH SIR MAJA AA GAYA ..APKE ANKAHE PYAR NE BAHUT KUCH KAH DIYA HE...
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ReplyDeleteसुन्दर !!!!
ReplyDeleteस्वागत है
गुलमोहर का फूल
That's why u r waiting for new someone out side office premises now a days.
ReplyDeleteLet's see who will be the next one........
Dev sahaab kehte h iss dunia ki sabse khubsurat cheej h CHAAND ...u know agar use WORDS i mean sabdo me chage (Tabbdeel) kar diyaa jaae na ...to vo bhi iss annkahe pyaar sa khusurat nhi hoga............headz off
ReplyDeleteDev sahaab kehte h iss dunia ki sabse khubsurat cheej h CHAAND ...u know agar use WORDS i mean sabdo me chage (Tabbdeel) kar diyaa jaae na ...to vo bhi iss annkahe pyaar sa khusurat nhi hoga............headz off
ReplyDeletedear dev sahab, meri life ki kahani bhi kuch aise hi hain, kamal kar diya aapne, ye sab likhna kahan se sikha, jarur apne pyar me chot khaie hain, kher is dunia me bewafao ki kani nahi hai, likhte raho,
ReplyDeletebest for your bright future
mukesh jain danta
अच्छा है। भाव है, पर सम्वेदना थोड़ी और घोली जा सकती थी। प्रयास सराहनीय है, धीरे-धीरे निखार आ ही जाता है।
ReplyDeleteअंत मे शब्दों की अभिव्यक्ति अच्छी लगी
ReplyDeleteसुमन ‘मीत’
Mera to itna kahana ki Dil ki Baato(Love) ko Dil me rakhoge to aise hi kahani banegi or ek baar nahi hazaar baar banegi. Or me ye tumahari is tarah ki kahani likane ka matalab samjh chuka hu. me nahi samjhunga to or kaun samjhega.
ReplyDeletedevendra ji apki kahani padhi..bahut achhi lagi jisne ant tak interest jagaye rakha...dil ko chhu gayi ye kahani...shayed yaad bhi rahe kuchh arse tak..
ReplyDeletefictions hi sahi lekin dukh hua end dekh kar ki ek purush apne purushocchit gun ki vajeh se aisa majaak kar gaya aur khud hi maat kha gaya...na jane purush aise kyu hote hai????
अच्छी लगी..कब खत खताएं बन जाते है..पता तब लगता है जब गलतियां सुधारने का वक्त निकल चुका होता है
ReplyDeleteBhai office main baith ke kaam kiya kar time paas nahi.
ReplyDeletedhadkanon si badhti ghatti rukti kahani......bahut achhi lagi
ReplyDeletemere agle sanchayan sangrah ka hissa banna chahenge?
ReplyDeleteBahut sundar kahanee likhi hai..! Bahut dino baad koi kahanee padhi , achha laga.
ReplyDeleteअच्छी लेखन शैली के द्वारा रची गई एक भावपूर्ण कहानी ,जिस ने अंत तक पाठक को बांधे रखा ,
ReplyDeleteमज़ाक़ तब तक अच्छा लगता है जब तक वो किसी की भावनाओं के साथ न हो रहा हो ,कहानी के नायक ने नायिका के जज़्बात के साथ खेला तो कहानी का भी यही अंत होना था.
देवेन्द्र जी, आपके लेखन और शैली ने प्रभावित किया है.
ReplyDeleteकथा वस्तु पर बस अपना एक शेर कहना चाहता हूं-
अपनी बात कहने का हौसला न कर पाया..
उम्र भर रुलायेगी मेरी बुज़दिली मुझको........
फिर तुम मुझे देखकर इतना कयूँ मुस्कुराते थे? बात बात पर मुझे हसाने कि कोशिश क्यों करते थे? मुझे हँसते देख तुम्हे बहुत अच्छा लगता था न!.....लक्षण तो ये आशिक के ही लगते हैं .....बेचारी समझी भी ठीक ....पर जो आपने 'मजाक' की चोट पहुंचाई नतीजा तो यही होना था .....!!
ReplyDeleteये है कहानी का निष्कर्ष .....!!
बहुत बढ़िया लिख आपने ....बधाई ....स्वागत है ....!!
bhawpuran rachana ke liye badhai..
ReplyDeleteअनकहे प्यार को कथनीय से अव्यक्त बना देते हैं आपके संलग्न चित्र
ReplyDeleteयह एक मसला है जिसे षायद आप्रलय व्यक्त अभिव्यक्त नहीं किया जा सकेगा..
jab waqt nikal jata hai tab tak bahut der ho chuki rahati hai sachachi ko samajhane ke liye
ReplyDeletebahut hidil ko chhoone wali rachana.
सुन्दर प्रेम-कथा. नवयुवक-युवतियां प्रेरणा लें इससे.
ReplyDeletemujhe apni pratham kahani rachana par aashirwaad dene ke liye sabhi aadarniye pathako evam lekhakon ko bahut bahut saadhuwad..
ReplyDeletenice calligraphy.............
ReplyDeleteGreat, par ye suni suni lagti hai
ReplyDeletekarvy ji thanks for visit and comment.
ReplyDeleteits again a matter of pleasure for me that u told 'aapne ise kahi sunaa hai'.....i will be happy if u pls tell me the source, where u read or heard it????
cud u know me whether karvy is ur name or u r from the company 'karvy group'.....actly m personally concerned with this word 'karvy'.....
thanks
my personal experience say that this a your own story
ReplyDeletem i right
how r u concerned with the word karvy??
i have one more question that who is one behind all this, coz there is a reason for everything, i m sure there is one whose unsaid words made u write all this
ReplyDeletem i correct??
karvy ji,
ReplyDeleteu told that its my own story..i can only say that might be there are some facts or some fictions or a combination thereof.....or might also be all are fictions....
i am sorry to say but i can't respond ur two later qns, how m concerned with the word karvy and who is behind all this....
waise aapne apne baare me nahi bataya (u r karvy or from the company karvy group?????)....
waise aapka likhne ka tarika kuchh jana pahchnana sa lag raha hai...
My name is karvy
ReplyDeletei m extremely sorry to ask u directly abt all this
i m from rajasthan, pursuing m.com from ICG
actually the way u mentioned the dates nd lines, it made me realise as though i m reading a real story from a person who went through and felt all these emotions
ur incomplete answer is enough saying its story itself
waise har lekhak ya shayar k piche koi na koi prerna, pooja, rita ya rama to hoti hi hai.
your writings rock!!!!!
hahahaaa sahi kaha karvyji.....har abhivyakti ke peeche koi na koi anubhuti hoti hai aur har anubhuti ke pichhe koi na koi prerna, pooja, aarti, rita, richa,ina, meena, deeka, chika, pika, rika......
ReplyDeleteaapne kaha 'writing rock'......chattano par writing ke liye to hathode ki jarurat hoti hai....ink nahi chalti waha......aapke rajasthan me koi majboot hathoda ho to bhijwa dena ..........hahaaahhaha.....hathoda rock!!!!
waise how u got access to this link????
Dev Sahab
ReplyDeleteStill waiting for someone or what??
still single??? i have a perfect match for u??what say??
vaibhav sahab,
ReplyDeletethanx for visiting the blog.....
yaar abhi to umra hi kya hai single se double hone ki.....??? vaise baadal bhi kya barsenge jab hawaa hi rukh mod le....hahahah
sir, sorry to say bt apko pehchaan nahi paaya......can u describe sm thing about u????
Dev sahab,
ReplyDeleteapne dil mein jhaak kar dekh lo, apka sabse priya adhyaya hai hum
shaayad purani yaado par se dhool hatao to hum mil jaye
vaibhav,
ReplyDeletemera ab tak ka sabse priye adhyaya to hamesha mujhe yaad rahega....my that adhyay need not to ask me whether i cud remember that adhyay or not......
m i recognizing u right?????
m damn sure, u and karvy are the same.....and no one else except that adhyay........
m i right????????????
kahaa gaya ye koi ajnabee?????????
ReplyDeleteअंत मे शब्दों की अभिव्यक्ति अच्छी लगी !सुन्दर प्रेम-कथा!!
ReplyDeleteits so nice ...
ReplyDeletebahut sundar .. rula diya aapne
ReplyDeletekabhi aaye humare blog bhi...
avinash001.blogspot.com
मेरा साया ही मुझसे कह रहा था.."अब कुछ नहीं साथ मेरे बस हैं खताएं मेरी". और मुंह से सिसकियों के साथ महज़ कुछ लफ्ज़ निकले जा रहे थे.."क्या तुम इतनी भी नादाँ थी कि न समझ सकीं ऐसा मज़ाक भी कोई करता है भला???........koi sabad nhi hai bolne ko...lajabab lekhni..atisundar kahu ya dil ko chhune bali kahu...samjh nhi aaraha ki kya khu............................................................................
ReplyDelete"अब कुछ नहीं साथ मेरे बस हैं खताएं मेरी". और मुंह से सिसकियों के साथ महज़ कुछ लफ्ज़ निकले जा रहे थे.."क्या तुम इतनी भी नादाँ थी कि न समझ सकीं ऐसा मज़ाक भी कोई करता है भला???
ReplyDelete:):)कोई इतना दर्द भी लिख सकता है प्यार में.........सभी भावनाएं एक ही कहानी में आ गयी प्यार का दर्द यहाँ तक महसूस हुआ देव साहब.......हर शब्द एक अनकहा सच ......अविस्मरनीय प्रेम कथा !!
BOSS DK Story is fine, but I personally feel there is something missing it seems like Bollywood masala film then I realized it required some freshness
ReplyDeleteU r my 60th member on my blog n I m soo thankful fr ur presenc...it means a lot to me.
ReplyDeleteU hv poured ur heart out here...I lack words!! Plz keep me posted ur all next articles.
M lookin fwd n specially delighted to rea in my mother tonge...:)
मेरा प्रेम समर्पण उनका प्रेम कृपा।
ReplyDeleteमेरा प्रेम जुनून,उनका प्रेम नशा।
मेरा प्रेम काली बदली,उनका प्रेम वर्षा।
मेरा प्रेम धरती ,उनका प्रेम आसमान।
मेरा प्रेम राधा ,उनका प्रेम कृष्णा।