बस अभी पंद्रह मिनट पहले की ही बात है. बरसात के बाद सिन्धु घाटी सभ्यता कालीन दिखती सड़कों, जिस पर गड्ढों में पानी और कीचड जम जाता है, मैं पैर साधते हुए और पाजामा बचाते हुए गुज़र रहा था. तभी एक महानुभाव दुपहिया फटफटिया फर्राटे से दौडाते हुए निकल गये, मानो शोएब अख्तर से तेज़ सड़क पर उड़ना चाहते हों. विज्ञान के सिद्धांत के मुताबिक कीचड उछलकर मेरे एक पैर के पायजामे पर काले रंग से दुनिया के छोटे बड़े देशों के मानचित्र बना गया . एक पैर की सफेदी और दुसरे पैर की रंगीन पिच को देख दस कदम दूर खड़े होकर वही महानुभाव मंद-मंद मंदबुद्धि जीव की तरह मुस्कुरा रहे थे. मुस्कुराएंगे भी क्यूँ नहीं? दूसरों पर कीचड उछालने में आनंद लेना तो मानव का प्रथम मौलिक कर्तव्य है.
मैंने उसकी जले पर नमक छिड़कती हंसी पर आत्म नियंत्रण करते हुए उनसे पूछ ही लिया-बंधू! आपने मेरी एक ही तो टांग खराब की है, दूसरी भी सलामत है और पूरा बदन भी. फिर सिर्फ एक टांग पर ही जिद्दी दाग लगाकर क्यूँ मुस्कुरा रहे हो?
महानुभाव ने फ़रमाया-जनाब! मैं आपकी टांग की दुर्दशा पर नहीं, टांग थ्योरी पर मुस्कुरा रहा हूँ. आप भी सुनेंगे तो गुस्सा थूंक देंगे। मैंने कहा- फरमाइए! क्यों न शुरुआत आप ही से की जाए ! महानुभाव बोले -जनाब !टांग थ्योरी पवार का प्रतीक है. जिसकी जितनी मजबूत टांग वह उतना ही पावरफुल। अगर आपकी टांग मजबूत है तो आप कहीं भी टांग अड़ा सकते हैं. अच्छे - खासे धावक को गिरा सकते हैं. जो आपसे पीछे है उसे टांग लगाकर रोक सकते हैं. टांग की बदौलत ही ओलम्पिक जैसे नामी खेलों में पदक जीते जाते है. टांग से ही क्रिकेट में नो बॉल फेंककर आप मैच गंवा सकते है. आपकी एक टांग न हो तो विकलांग का दर्जा पाकर अच्छी नौकरी पा सकते है. टांग उचित आकर की हो तो ब्रांडेड जूता पहन सकते हैं और मौका मिलने पर वही जूता आपके किसी पसंदीदा नेता की दिशा में फेंककर प्रसिद्ध हो सकते है. और तो और घोडा भी जब बिदकता है तो टांग से ही प्रहार करता है और आदमी भी सारे अस्त्र -शस्त्र असफल रहने पर लात ही मारता है. टांग की बदौलत ही आदमी अच्छे से अच्छे रिश्ते ठुकरा देता है और उसी टांग से ठोकर खाकर गिर पड़े तो अपने दांत तुडवा सकता है. तो टांग को कमजोर न समझें. आप इसी पर अच्छी तरह टिकें और अच्छी तरह टिकने के लिए दोनों टाँगे मजबूत हों तो आप सौभाग्य शाली है. देश को भी दोनों टांगो (पक्ष-विपक्ष) के बीच अच्छे तालमेल की जरुरत है वरना एक टांग के भरोसे रहने पर लडखडाने की संभावना ज्यादा है. रेस में जीतने के टांगो से तेज़ दौड़ना पड़ेगा. टांग वहीं अडाई जाये जहां आवश्यकता है. टांग अड़ाकर दुसरे को गिराने और उसी टांग से ठोकर खाकर गिरने में सभी का घाटा है. तो जनाब आप भी अपनी टाँगे मजबूत बनाएं. टाँगे संभलकर रखें ताकि वहाँ काम ली जा सके जहाँ जरुरत है.
महानुभाव की बात मेरी समझ में आ गई. अब जब भी चलता हूँ, गुन्गुनाते हुए चलता हूँ -एय भाई! जरा देख के चलो…आगे ही नहीं पीछे भी। …. ऊपर ही नहीं नीचे भी … ।और कीचड का क्या? पूछ लेता हूँ फिर चिपका लेता हूँ। ।भाइयों! यह टांग है बड़े काम की चीज़ …इसे बचाकर चलिये… कल काम आयगी, कहीं अडाने में कहीं चलाने मे….:) :):)