एक आम लाल जी थे। कहते मैं बड़ा ईमानदार आदमी हूँ। सिर्फ मैं ही ईमानदार हूँ। तुम सब बेईमान हो। तुम सब चोर हो। एक दिन जंगल से गुज़र रहे थे। डर लगा -अकेला सफ़र करना ज़रा मुश्किल है।
चार कदम भी न चले थे कि उसी चोर (जैसा कि आमलाल कहते थे ) का दामन थाम लिया, जिसको पकड़ने निकले थे, जिसको जी भर गालियां देते थे, जिनका चेहरा देखना भी पसंद न था, जिनकी आवाज़ भी उनको कड़वी लगती थी। ईमानदारी गई तेल लेने। उसूल गए तेल लेने। अपने खुद के बच्चों की खाई हुई कसम, गई तेल लेने। सोचा कस्मे , वादे, ईमानदारी सब बातें हैं बातों का क्या ? मौके की नज़ाकत को समझा और आइना बदल लिया। उस गाने की पंक्तियाँ सजीव बना दी "मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती करली, अब आगे बसर हमने यूँही ज़िन्दगी कर ली " . अब क्या है? हमसफर मिल गया ईमानदारी की बात तो बाद में भी कि जा सकती है, इतनी भी क्या जल्दी है? :):):)
चार कदम भी न चले थे कि उसी चोर (जैसा कि आमलाल कहते थे ) का दामन थाम लिया, जिसको पकड़ने निकले थे, जिसको जी भर गालियां देते थे, जिनका चेहरा देखना भी पसंद न था, जिनकी आवाज़ भी उनको कड़वी लगती थी। ईमानदारी गई तेल लेने। उसूल गए तेल लेने। अपने खुद के बच्चों की खाई हुई कसम, गई तेल लेने। सोचा कस्मे , वादे, ईमानदारी सब बातें हैं बातों का क्या ? मौके की नज़ाकत को समझा और आइना बदल लिया। उस गाने की पंक्तियाँ सजीव बना दी "मिले न फूल तो काँटों से दोस्ती करली, अब आगे बसर हमने यूँही ज़िन्दगी कर ली " . अब क्या है? हमसफर मिल गया ईमानदारी की बात तो बाद में भी कि जा सकती है, इतनी भी क्या जल्दी है? :):):)