आई भोर की प्रथम किरण
पंछियों ने गुनगुनाया, नव वर्ष आया नव वर्ष आया
हम नई सुबह की नई किरण को चहूँ और फैलाए,
आओ नवल वर्ष मनाये.
सुखद लम्हों को याद करें
सबके लिए फ़रियाद करें
एक दूजे की खामियों को भुलाएँ,
आओ नवल वर्ष मनाएं.
अपनों को साथ जोड़ें
गैरों से भी मुंह न मोड़ें
हर तरफ भाईचारा फैलाएं,
आओ नवल वर्ष मनाएं.
बीती असफलताओं को भूलें
नए स्वप्न देखें नई कल्पना करें
नवल उत्थान में नई रहें सजाएं,
आओ नवल वर्ष मनाएं.
रुकें न हम झुके न हम
नया सोचें कुछ सृजन करें हम
ज्ञान बढ़ाएं अज्ञान मिटायें,
आओ नवल वर्ष मनाएं.
सबकी भावनाओं का सम्मान करें
पराजितों से भी मुंह न मोड़े
कहीं बहे आंसू तो रुमाल बन जाएँ,
आओ नवल वर्ष मनाएं.
अच्छा देद्खें, सच्चा सोचें, मीठा बोलें
आँखों की आभा में प्रेम रस को तोलें
नई सुबह में मृदु वाणी से प्रेम सरिता बहायें,
आओ नवल वर्ष मनाएं!!!
कृति- देवेन्द्र शर्मा (कंपनी सचिव)
01.01.2010
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