चला ही जा रहा हूं मैं न मालूम रास्ता है किधर
भटकाए जा रही है मेरी ही गुस्ताखियाँ
छा रही है हर तरफ लफ़्ज़ों की खामोशियाँ
जुबाँ न हिलने देती हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ
न दिन को चैन मिलता है न रातों को करार
ख्वाब अधूरे दिखला रही हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ
ना दिल में कोई बात है न लबों पर अलफ़ाज़
अश्कों से ख़त लिखवा रही हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ!!!
janaab "ghonchu" ka pranaam swikaar kare kintu aapki gustahkhiyan humko bhaut pyaari lagi yun hi karte rahiye hum maaf bhi kartey rahenge !bharhaal , rajasthaan se hai aap bhi hum bhi to yun bhai bhai mein kaisa maafi shabd ! bahoot khoob ji
ReplyDeleteछा रही है हर तरफ लफ़्ज़ों की खामोशियाँ
ReplyDeleteजुबाँ न हिलने देती हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ
waah
aapki antimm line doharatata hu....
ReplyDeleteना दिल में कोई बात है न लबों पर अलफ़ाज़
अश्कों से ख़त लिखवा रही हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ!!!
.....................or aapki iss abhivakti pe bhi mere paas alfaaz nhi.......so u hav to read my eyes and ya yahaa मेरी गुस्ताखियाँ nahi aapki taarif najar aaegi
ना दिल में कोई बात है न लबों पर अलफ़ाज़
ReplyDeleteअश्कों से ख़त लिखवा रही हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ!!!
दिल में बात है तभी तो अश्कों से ख़त लिखे जा रहे हैं देवेन्द्र जी ......!!
ऐसी भी क्या गुस्ताखी कर दी जनाब ने ....???
छा रही है हर तरफ लफ़्ज़ों की खामोशियाँ
ReplyDeleteजुबाँ न हिलने देती हैं मेरी ही गुस्ताखियाँ
WAH..APKI KHAMOSHIYON ME JUBAN SE NIKALTE SHABDA... APKI GUSTAKHIYON KO DILKASH ANDAZ ME PESH KAR RAHI HE
Khul ke batao yaar, aisi kya gustaakhi kee hai?
ReplyDeleteगुस्ताखियाँ भटकाती भी हैं तड़पाकर मारती भी हैं. कब, कौन, कहाँ बहक जाय और कहाँ संभल जाय यह तो उसी पर निर्भर करता है।
ReplyDeleteवाह क्या बात है...अश्कों से ख़त लिखवा रही हैं
ReplyDeleteAlfaaz aur lekhni aapki gulami karti hain..
ReplyDeleteमजा आ गया
ReplyDeleteजितनी तारीफ़ की जाय कम है
सिलसिला जारी रखें
आपको पुनः बधाई
satguru-satykikhoj.blogspot.com
kuch bahut hi acha lag gaya aaj.....
ReplyDelete:)))its me