जीवन बहती हवाओं का संगम है। हमारे विचार और भावनाएं भी इन हवाओं के संग बहते रहते हैं। इस ब्लॉग में मैंने कुछ ऐसे ही उद्गारो को अपनी लेखनी से उतारने की कोशिश की है। आपकी समालोचनाओं का स्वागत है। आशा है आप मुझे बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। ब्लॉग पर आपका स्वागत हैI
नहीं,नहीं देवन्द्र जी,दिल जब आपने चुरा लिया था,तो वह सीने में कैसे रहता जी. प्यार तो लूटने और खोने का ही नाम है,सीने में दिल थोड़े ही ना ढूँढता है.खोने के बाद होश कैसा ?
नहीं,नहीं देवन्द्र जी,दिल जब आपने चुरा लिया था,तो वह सीने में कैसे रहता जी.
ReplyDeleteप्यार तो लूटने और खोने का ही नाम है,सीने में दिल थोड़े ही ना ढूँढता है.खोने के बाद होश कैसा ?
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ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeletegar aapke paas vo dil hota jo samajhta,to shayad aap unke liye ye na kehte jinke liye aap kehte firte hain aapne sab loota diya......:):)
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteBahut Badhiya...
ReplyDeletewaah
ReplyDeletebehad khubsurat prastuti....namaskar
ReplyDeleteवाह वाह अच्छी लगी , मुबारक हो
ReplyDeletepyar sirph pane ka hi nam nahi hai pyar ki shuruaat hi tab hoti hai jab usme lene ki chahat hi na ho
ReplyDeleteप्रेम के कितने ही रंग और कितने ही विम्ब आपने दिए हैं...
ReplyDeleteकुछ ऐसा है
ReplyDeleteजो
शब्दों को
काव्य बना पा रहा है ... !
बहुत अच्छा लिखा है आपने बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteआप ने 'मगन' कर दिया मन को.
आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!
बहुत खूब!
ReplyDeleteवाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुती !
ReplyDeletedevendra ji
ReplyDeletein chooti panktiyon me dil ke gahre jajbaat ubhar aaye hain
bahut khoob
Wah ! Wah
poonam
दिल पर घातक चोट करती पंक्तियाँ....
ReplyDeleteबहूत खूब ......आभार !
ReplyDeleteसब खोया तो मालूम हुआ
ReplyDeleteतेरे सीने में
दिल ही नहीं था!!!
ओए होयेऽऽ…
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया … :)
"Man without Brain" यार ! क्या लिखते हो … झकास्स !
दानिश जी ने कह दिया न! लगे रहो !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
short and sweet bt full of meaning !!
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