Thursday, May 26, 2011

हर खता-हर इलज़ाम

हर खता मेरी
हर इलज़ाम मुझ पर
जो की थी जुर्रत 
मोहब्बत करने की,
अंजाम तो ये
होना ही था...!!!

9 comments:

  1. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

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  2. मोहब्बत करने वाले बस मोहब्बत किया करते हैं
    खता और इल्जाम से भला वे कहाँ डरा करते हैं

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं आपने.

    मेरे ब्लॉग पर मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.
    'सरयू' स्नान का न्यौता है आपको.

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  3. nice n cute1.still baat bus itni hai ki dono ko hi dard hota hai koi bayan karta hai to koi bus rota hai.....

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  4. अंजाम तो ये
    होना ही था...!!!

    सच है अंजाम तो यही होता है

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  5. बहुत सुंदर पंक्तियाँ व प्रस्तुति
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  6. बिलकुल सही लिखा है

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