Sunday, October 23, 2011

फेसबुक न होता तो क्या होता

फेसबुक न होता तो क्या होता
मेरी सारी बकवास कौन सुनता
मन की भड़ास कौन झेलता
अच्छी बातें तो सब पसंद करते हैं
पर मेरे बासी शेरों पर वाह वाह कौन करता
फेसबुक न होता तो क्या होता....

अकेले पन में साथ कौन होता
भूख लगी, नींद नहीं, चाय पीनी है
ये फ़ालतू status कोई कैसे डालता 
दुसरे की महिला मित्रों के चित्र like कौन करता 
फेसबुक न होता तो क्या होता....

हीरा तो खुद चमक लेता है मगर
झंडू जैसी सूरतों को gorgeous कौन कहता
सुख में तो सब साथी होते किन्तु
दुःख बांटने वाला साथी कौन होता
फेसबुक न होता तो क्या होता....

नेकी कर फेसबुक में डाल कहावत
चरितार्थ कोई कैसे करता
सिर्फ प्रस्ताव स्वीकृति सिद्धांत पर
दोस्ती के मापदंड कौन तय करता
फेसबुक न होता तो क्या होता......

जिनमे दम और व्यक्तित्व है
वो तो बुक्स में फेस छपवा लेते
पर जो अक्ल से श्री शर्मा की तरह पैदल हैं
बेचारे उनका अपना क्या होता
प्रभु, ये फेसबुक न होता तो क्या होता......:):)



18 comments:

  1. फेसबुक है तो पता है... कई बार लोग इतनी दोस्ती निभाते हैं - बिना पढ़े like का बटन डबा देते हैं और मन खुश !

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  2. झंडू जैसी सूरतों को gorgeous कौन कहता---- hahahahaha

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  3. आपकी यह उत्कृष्ट प्रविष्टि कल दिनांक 24-10-2011 के सोमवारीय चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी। सूचनार्थ

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  4. नेकी कर फेसबुक में डाल कहावत
    चरितार्थ कोई कैसे करता
    सिर्फ प्रस्ताव स्वीकृति सिद्धांत पर
    दोस्ती के मापदंड कौन तय करता
    फेसबुक न होता तो क्या होता......

    good creation]
    happy deepavali.

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  5. भैया फेसबुक पर तो कमेन्ट हर सार्थक विषयों को छोड़ कर सब पर दी जाती है, गम्भीर मुद्दों पर तो लाले पड़ जाते हैं, और लाइक करने वाले तो अपने दुश्मन की पोस्ट भी लाइक कर देते हैं...
    बहुत ही सही और सुन्दर बात कविता के माध्यम से|
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
    chandankrpgcil.blogspot.com
    ekhidhun.blogspot.com
    dilkejajbat.blogspot.com
    पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|

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  6. lol awesome !!
    u unleashed the reality of fb :P

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  7. फेसबुक न होता तो ब्लॉग होता..ब्लॉग भी न होता तो कुछ और होता।
    मैं तो वो हूँ जिसे हर हाल में....

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  8. नेकी कर फेसबुक में डाल कहावत
    चरितार्थ कोई कैसे करता
    सिर्फ प्रस्ताव स्वीकृति सिद्धांत पर
    दोस्ती के मापदंड कौन तय करता
    फेसबुक न होता तो क्या होता....
    बहुत सुन्दर !!!
    मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !

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  9. Nice ..facebook na hota to hum tumhe dost kaise kahte

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  10. वाह! क्या बात है जी.

    आप तो अब 'फेसबुक' चालीसा ही लिख डालियेगा शर्मा जी.

    आपकी सुन्दर प्रस्तुति ने मेरा 'फेस' खिला दिया है जी.

    मेरे ब्लॉग पर पर भी अब आ जाइयेगा.
    अपने सुन्दर से 'फेस'का जलवा दिखला जाईयेगा.

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  11. प्रिय देवेन्द्र जी

    मैं तो फेसबुक पर अभी अभी सक्रिय हुआ हूं … और मुझे ब्लॉगिंग में ही ज़्यादा आनंद आता है :)


    अलग तरह की रचना के लिए …
    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. वैसे फ़ेसबुक कोई ख़राब चीज़ नहीं !आपने भी कुछ गलत नहीं कहा ! बहुत सुंदर रचना ।

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  13. नेकी कर फेसबुक में डाल कहावत
    चरितार्थ कोई कैसे करता
    सिर्फ प्रस्ताव स्वीकृति सिद्धांत पर
    दोस्ती के मापदंड कौन तय करता
    फेसबुक न होता तो क्या होता......

    sach kaha ....jabardast soch hai facebook pe to daalni hi chaahiye.

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  14. ये आपकी अभिव्यक्ति की खूबी है जिसे हम पढ़ सुन रहे हैं.
    लिखते रहें...

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  15. हाल ही में शहर में हुए दो दुखद घटनाक्रमों के बारे में फेसबुक पर कुछ लिखा था... कुछ महानुभावों ने उसे भी लाईक कर दिया... इश्वर से उन्हें सद्बुद्धि देने की प्रार्थना मात्र कर पाए.

    बहुत अच्छी रचना.

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