अभी हाल ही में सचिन को भारत रत्न मिलने पर कुछ बुद्धिजीवियों को असह्य पीड़ा हुई है… सारे अखबार,फेसबुक, ब्लॉग्स आलेखों से रंग डाले। ऐसे चुनिंदा बुद्धिजीवी पीडितो से मैं पूछना चाहता हुँ कि भारत रत्न अगर सचिन को नही, तो क्या आपको मिलना चाहिए था क्या? अगर सचिन ने कुछ नही किया तो आपने ऐसा क्या कारनामा कर डाला कि आपको मिले?? कुछ लोग कह रहे हैं कि सचिन ने खेल से पैसा कमाया है। तो आप ये बताएं कि आप कहीं भी नौकरी या व्यवसाय करते हैं, तो फ़ोकट में करते हैं क्या?? या जिनको अब तक भारत रत्न मिले उन्होंने फ्री में सेवा की है क्या देश की ? कुछ लोगो ने कहा कि क्रिकेट भारतीय देशी खेल नहीं है… ऐसे लोगों से मैं पूछना चाहता हूँ कि भाई साहब! आप देशी तलवारों के भरोसे जब लड़े थे ही, तो बाबर की तोपों के सामने क्यों घुटने टेक दिए??? अंग्रेजों की गुलामी क्यों क़ुबूल कर ली?? ...अंग्रेजों की चाय तो बड़े मजे से पी लेते हैं आप… आप स्वदेशी हैं तो कम्पुटर पर फेसबुक क्यूँ करते हैं? चैटिंग क्यूँ करते हैं? यह भी तो भारतीय संस्कृति नहीं है, मशीन भारतीये नहीं है… आप स्याही और पेड़ के पत्तों पर ही लिखिए न। । और अगर आप बात करें तो क्रिकेट को छोड़कर दूसरे किस खेल में आप तीस मार खां हैं?? दूसरे खेलों में कितने मैच जीतें हैं ज़रा गिनाये तो?? ओलम्पिक में तो क्रिकेट नहीं है वहा कौनसे झंडे गाड़ दिए आपने? क्रिकेट में अगर अच्छा प्रदर्शन देश की टीम कर रही है तो प्रोत्साहन तो मिलना ही चाहिये ना । और अगर आप इसे राजनीति से जोड़ते हैं तो कृपया अपनी मानसिकता ऊपर उठाइये, अगर कोंग्रेस नही देती तो भाजपा देती सचिन को भारत रत्न… क्यूंकि इस वक्त सचिन ही भारत रत्न के सर्वाधिक हकदार व्यक्तियों में से हैं, आप और मैं नहीं …और हाँ , देश में इसका विरोध जताने वालों में करोडो बुद्दिजीवी प्राणी ऐसे भी हैं, जो सचिन को भारत रत्न की घोषणा से पहले भारत रत्न के बारे में जानते भी नहीं होंगे कि आखिर भारत रत्न होता क्या है…। इस देश के लिए सबसे बड़ी विडंबना इस बात की है कि लोग जानते कुछ नही हैं और हर नयी चीज़ का विरोध कर अपने बुद्धिजीवि होने का दवा करते हैं..... चलिए आप विरोध करीय विरोध के सिवा आप कर भी क्या सकते हैं?? हाँ, आप यह कर सकते हैं कि आप भारत रत्न नहीं पा सकते और जो पा जाता है उसका विरोध कर सकते हैं.… तो जताते रहिये विरोध, देश के संविधान ने आपको अधिकार दिया है। …संविधान द्वारा प्रदत्त कर्तव्यों की तो आप कभी बात करेंगे नहीं??? ..........
जीवन बहती हवाओं का संगम है। हमारे विचार और भावनाएं भी इन हवाओं के संग बहते रहते हैं। इस ब्लॉग में मैंने कुछ ऐसे ही उद्गारो को अपनी लेखनी से उतारने की कोशिश की है। आपकी समालोचनाओं का स्वागत है। आशा है आप मुझे बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। ब्लॉग पर आपका स्वागत हैI
Friday, November 29, 2013
Wednesday, November 20, 2013
पिघलते प्रश्नो पर (क्षणिका)
तेरी आँखों से
पिघलते प्रश्नों पर
जवाब लिखा था कभी
खामियाज़ा भुगत रहा हूँ
आज तक!!!
पिघलते प्रश्नों पर
जवाब लिखा था कभी
खामियाज़ा भुगत रहा हूँ
आज तक!!!
Tuesday, November 19, 2013
अज्ञान (क्षणिका)
अज्ञान,
ज्ञान के लिए
उतना ही महत्व्पूर्ण है
जितना
अज्ञात,
ज्ञात के लिए
और शून्य,
ब्रह्माण्ड के लिए!!!
ज्ञान के लिए
उतना ही महत्व्पूर्ण है
जितना
अज्ञात,
ज्ञात के लिए
और शून्य,
ब्रह्माण्ड के लिए!!!
Sunday, November 17, 2013
चलना है यारों
(वर्ष २००५ में लिखी एक कच्ची कविता जो अभी तक अधूरी है। फिर भी लुप्त होने से बचाने के लिए पोस्ट कर रहा हूँ )
सफ़र है बहुत लम्बा
पर चलना है यारों
कोई साथ चले न चले,
अकेले ही कदम बढ़ाना है यारों।
समय दौड़ेगा सतत
अकेला, अमूर्त, फिर भी मजबूत
प्रहर आठ पूरे मिले न मिले,
पर चलना है यारों।
पथ होगा पथरीला कंटीला,
लोग कहें चलना हमारी भूल
पर रेगिस्तान में गंगा लानी है तो
नंगे पैर भी चलना है यारों।
यह ठोस आधार नही कि
कोई गया नही कभी उस तरफ
गर रचना है इतिहास तो,
प्रथम बार चलना है यारों।
सफ़र है बहुत लम्बा
पर चलना है यारों
कोई साथ चले न चले,
अकेले ही कदम बढ़ाना है यारों।
समय दौड़ेगा सतत
अकेला, अमूर्त, फिर भी मजबूत
प्रहर आठ पूरे मिले न मिले,
पर चलना है यारों।
पथ होगा पथरीला कंटीला,
लोग कहें चलना हमारी भूल
पर रेगिस्तान में गंगा लानी है तो
नंगे पैर भी चलना है यारों।
यह ठोस आधार नही कि
कोई गया नही कभी उस तरफ
गर रचना है इतिहास तो,
प्रथम बार चलना है यारों।
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