जीवन बहती हवाओं का संगम है। हमारे विचार और भावनाएं भी इन हवाओं के संग बहते रहते हैं। इस ब्लॉग में मैंने कुछ ऐसे ही उद्गारो को अपनी लेखनी से उतारने की कोशिश की है। आपकी समालोचनाओं का स्वागत है। आशा है आप मुझे बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। ब्लॉग पर आपका स्वागत हैI
isme afsos kis cheez ka????????????
ReplyDeleteअफसोस! वाकई! दर्द की टीस का भी अपना मज़ा है।
ReplyDeleteअब मज़ा न लें तो आपको और अफ़सोस होगा ...
ReplyDeleteपन्त जी की पंक्तियाँ याद आ रही हैं ..वियोगी होगा पहला कवि , आह से उपजा होगा गान , उमड़ कर आँखों से चुपचाप , बही होगी कविता अनजान
dard ke tukdon ke sang rahna sabko achha lagta hai
ReplyDeletewhat a sarcasm ...
ReplyDeletebeautiful !!
मज़ा लेने वाले इस दिल के दर्द को क्या जाने
ReplyDeleteकविता में भी दर्द....
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'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!
जब टुकड़े कीजियेगा तब दर्द होगा ही ...वैसे संगीता दी के कथन से सहमत हूँ.....
ReplyDeleteदर्द और और कविता का तो चोली दामन का साथ है ......
ReplyDeletedil ke chhalon ko koi shayri kahe to gam nahi hota
ReplyDeletedard to tab ubharta hai jab aap wah! wah! karte hain.
niece
pradeep
mazaa aa gaya ........kasam se
ReplyDelete..........exceelent