हम दावा करते हैं
ग्लोबल होने का
बड़ी बड़ी बातें करते हैं
देश की विदेश की
विश्वस्तरीय भाषा
सभ्यता और संस्कृति की.
बताते हैं अनेकता में एकता
राष्ट्रीय एकता.
परन्तु यथार्थ में
होने के बावजूद,
इक्कीसवीं सदी के
नाम जताने के पश्चात
अक्सर यही प्रश्न होते हैं
किस जाति के हो?
किस धर्म के हो?
किस राज्य के हो???