आंसू
एक लम्बे अरसे के बाद
एक लम्बे अरसे के बाद
जब हम तुम मिले
फिर अजनबी की तरह
लिए भार हृदय में बिसरी यादों का
मिलती रही नज़रें कुछ पलों के लिए
लगा जैसे
आज भी सब कुछ मेरा अपना है
आज भी है
इन आँखों में इंतज़ार मेरे लिए
किये वादों को निभाने का
तभी,
एक तीखी मधुर आवाज़ में
किसी का तुम्हे मां पुकारना
तुम्हारा उसे गोद में उठाना
और सर झुकाए जाने के लिए मुड़ना
ले आया मेरी आंख में
फिर एक आंसू!!!
देवेन्द्र शर्मा (कंपनी सचिव)
No comments:
Post a Comment