Wednesday, February 17, 2010

आंसू

आंसू

एक लम्बे अरसे के बाद
जब हम तुम मिले
फिर अजनबी की तरह
लिए भार हृदय में बिसरी यादों का

मिलती रही नज़रें कुछ पलों के लिए
लगा जैसे
आज भी सब कुछ मेरा अपना है
आज भी है 
इन आँखों में इंतज़ार मेरे लिए
किये वादों को निभाने का

तभी,
एक तीखी मधुर आवाज़ में
किसी का तुम्हे मां पुकारना
तुम्हारा उसे गोद में उठाना
और सर झुकाए जाने के लिए मुड़ना
ले आया मेरी आंख में 
फिर एक आंसू!!!

देवेन्द्र शर्मा (कंपनी सचिव) 


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