Monday, August 9, 2010

पेड़

मैं पेड़
धरती का श्रृंगार
मानो तो
सबसे बड़ा दातार.

सदा ही देता आया
तुम इंसानों को
पानी, हवा
फल, छाँव
आदि आदि.

बदले में क्या चाहा था?
बस इतना कि
लिपट सकें
तुम्हारे बच्चे
मेरे सीने से.

कुछ ज्यादा तो
सावन के झूले
झूमे
मेरी बाहों में.

और भी कुछ तो
बैठें पांच लोग
रूबरू हों राधा कृष्ण
थोड़ा सो ले कोई
भूला भटका राही
मेरे आँचल की छाँव में.

पर तुम इंसानों की
ऐसी भी क्या कृतज्ञता?
कि कर दिए
टुकड़े टुकड़े
मेरे धड़ के ही
छीनकर
पहले पत्तियां
फिर डालियाँ
और फिर तना भी.

फेंक दिया
उखाड़कर
जड़ से ही
जब गुजरा तुम्हारा
स्वर्णिम चतुर्भुज.

इंसान!
वाह रे,
तेरा इन्साफ!
तेरी वफ़ा!
तेरी फितरत...!!

13 comments:

  1. पेड़ की व्यथा को क्या खूब दर्शाया है...

    ReplyDelete
  2. पर तुम इंसानों की
    ऐसी भी क्या कृतज्ञता?
    कि कर दिए
    टुकड़े टुकड़े
    मेरे धड़ के ही
    छीनकर
    पहले पत्तियां
    फिर डालियाँ
    और फिर तना भी.
    jo deta hai, uski yahi sthiti hoti hai

    ReplyDelete
  3. kya baat...kyaa baat...kyaa baat.....bahut acchhe bhav hain bhaai.....sach....

    ReplyDelete
  4. Hi..

    Kash hum ped ki vyatha ko samajhte...

    Sundar Kavita...

    Deepak..

    ReplyDelete
  5. ped k madhyam se insan ki KRIDHNATA ka khasa chitra khincha hai aapne.. badhai.

    ReplyDelete
  6. bhai aap to cha gaye ho
    itni sunder kavitae likhte ho

    ReplyDelete
  7. hi devendra
    u must be a good writer dear
    n i think u must be well educated also ur poems show that.

    ReplyDelete
  8. अब आपके बीच आ चूका है ब्लॉग जगत का नया अवतार www.apnivani.com
    आप अपना एकाउंट बना कर अपने ब्लॉग, फोटो, विडियो, ऑडियो, टिप्पड़ी लोगो के बीच शेयर कर सकते हैं !
    इसके साथ ही www.apnivani.com पहली हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट है| जन्हा आपको प्रोफाइल बनाने की सारी सुविधाएँ मिलेंगी!

    धनयवाद ...
    आप की अपनी www.apnivani.com

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर भावो से सजा कर अपनी बात कही है.
    सच में इंसान कितना स्वार्थी है.
    सुंदर, सटीक रचना.

    ReplyDelete
  10. मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete