Saturday, April 16, 2011

शर्तिया प्रेम

प्रेमिका कहती है
मेरे लिए आसमान के तारे तोड़ ला सकते हो?
मुझे चाँद की सैर करा सकते हो?
अगर नहीं तो,
तुम मेरे लायक नहीं हो.

जब हो जाओ तब आना
चाहे तुम्हे पुनर्जन्म ही क्यों न लेना पड़े

प्रेमी बेचारा सदा की तरह
प्रेमिका के कठोर मापदंडों की
पूर्ति के लिए
मृत्यु का इंतज़ार करता है.

वह पुनः जन्म लेता है
चाँद तारे लाकर 
प्रेमिका की झोली में डाल देता है
घुटना टेके प्रीत का प्रस्ताव करता है
प्रत्युत्तर में प्रेमिका तैयार रहती है
पुनः नयी शर्तों के साथ.....!!!      

10 comments:

  1. प्रत्युत्तर में प्रेमिका तैयार रहती है
    पुनः नयी शर्तों के साथ.....!!!

    जहाँ पर ऐसी शर्तें होती हैं वहां पर सच्चा प्यार नहीं होता ..बस शर्तों के द्वारा ही किसी के दिल को बहलाया जाता है ....आपका आभार इस सार्थक और मार्मिक पोस्ट के लिए ..!

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  2. हाँ जनाब यह तो हाल है आजकल ज्यादातर जिसे "प्रेम" बोला जाता है, उसका... बुरी बात है..

    तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
    आभार

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  3. शर्त के साथ भला प्रेम कहाँ ?

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  4. प्रेम और शर्त , एक साथ कभी पूरी नहीं हो सकती !

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  5. आपका आभार इस सार्थक और मार्मिक पोस्ट के लिए ..!

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  6. इस तरह न जाने कितने जन्म लेने पड़ेंगे।

    सच्चा प्रेम तो निःस्वार्थ, निःशर्त होता है।

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  7. so baar jnm lege --fir bhi aek nhi hoge --mere blok par bhi aae --

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  8. वाकई बड़ी ट्रेज़डी है...

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  9. ऐसी शर्तें सच्चा प्यार नहीं होता ...सच्चा प्रेम निःशर्त होता है।

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  10. वह पुनः जन्म लेता है
    चाँद तारे लाकर
    प्रेमिका की झोली में डाल देता है
    घुटना टेके प्रीत का प्रस्ताव करता है
    प्रत्युत्तर में प्रेमिका तैयार रहती है
    पुनः नयी शर्तों के साथ.....!!! bilkul sahi likha aapne...aesa kyun hota hai...log dil ke badle dil kyun nhi dekhate hai....or sharte ye to ziban ka wo jehar hai jisse insan aaj kal parkha jata hai....behad sundar rachna

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