चाय तुम रंग रंगीली छैल छबीली हसीना हो
सच पूछो तो आयातित, विलायती नगीना हो.
तुम्हें पीकर मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है
होठों से छूते ही दर्द सारा मिट जाता है.
स्वाद में कुछ मीठी, कुछ कसैली लगती हो
रंग तुम्हारा भूरा, करिश्मा जैसी दिखती हो
हर घर, होटल, सड़क में बस तुम्हारा ही बसेरा है
पीने वाले नतमस्तक, सब पर हक़ तुम्हारा है.
जो तुम्हें स्पर्श करे, वो तुम्हारा महत्व जाने
वरना अदरक का स्वाद बन्दर क्या पहचाने.
अब मैं कोई गीत, कहानी या कविता नहीं कह पाता हूँ
हर पन्ने-पन्ने पर शब्द-शब्द में तेरी महिमा लिखता हूँ.
:) :) :)
सच पूछो तो आयातित, विलायती नगीना हो.
तुम्हें पीकर मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है
होठों से छूते ही दर्द सारा मिट जाता है.
स्वाद में कुछ मीठी, कुछ कसैली लगती हो
रंग तुम्हारा भूरा, करिश्मा जैसी दिखती हो
हर घर, होटल, सड़क में बस तुम्हारा ही बसेरा है
पीने वाले नतमस्तक, सब पर हक़ तुम्हारा है.
जो तुम्हें स्पर्श करे, वो तुम्हारा महत्व जाने
वरना अदरक का स्वाद बन्दर क्या पहचाने.
अब मैं कोई गीत, कहानी या कविता नहीं कह पाता हूँ
हर पन्ने-पन्ने पर शब्द-शब्द में तेरी महिमा लिखता हूँ.
:) :) :)