लम्हा
लम्हा वक्त गुज़रता है. जज़्बात बनते हैं बिगड़ते हैं आपमें मुझमे. कुछ
स्पंदन के साथ जुड़ जाते हैं कुछ बयान होकर भी रह जाते हैं कहीं न कहीं
अमर. फिर वही बेतरतीब बिखरे कागज़ के टुकड़े और किसी कोने में पड़ी कलम उसे
सहारा देती है. जज़्बात उतरने लगते हैं कागज़ पर शब्द-दर-शब्द. कविताओं की
यात्रा करते करते, गुज़रते गुज़रते नदियों और धाराओं से पहला संगम (यह
पुस्तक) लेकर उबर आते हैं. अभिव्यक्ति उबरती जाती
ह...
ह...
ै, गहराई में डूबने लगते हैं आप और मैं शब्द-दर-शब्द...............यह
युवा कवि देवेन्द्र शर्मा का पहला काव्य संग्रह है जिसे मेरठ के उत्कर्ष
प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है. इस संग्रह में गंभीरता के अलावा
श्रृंगार, हास्य, दर्द और विरह के अलावा जीवन के प्रति दर्शन का भी बेहतरीन
समावेश किया गया है...कवि, कविताओं और साहित्य को प्रोत्साहन देने के
उद्देश्य से प्रकाशक द्वारा इसकी कीमत मात्र रस Rs. 90/-
रखी गई है....पुस्तक प्राप्ति के लिए कवि देवेन्द्र शर्मा से
(deven238cs@gmail.com, ph-09451983612) या प्रकाशक उत्कर्ष प्रकाशन
(uttkarshprakashan@gmail.com, ph-09897713037) से संपर्क किया जा सकता
है........निशुक्ल प्राप्ति के लिए कवि से संपर्क करें....