Sunday, August 26, 2012

मूल जड़ (गुस्ताखी माफ़) :)...

हद हो गई यार
रोज करते हो
भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार।

 क्या उखाड़ लिया?
भूखा प्यासा रह के
जैलों को भर के।

हालात तो वैसे ही हैं
आप, मैं और वो
कल जैसे ही हैं।

अगर यह समस्या है
तो इसकी मूल जड़ को देखो
हवा में लट्ठ मत फेंको।

इतिहास गवाह है
आज तक जो बड़े काण्ड हुए
अफसर, नेता, अक्ल्वानों से हुए।

तीनों में एक समानता होती है
नाम अलग अलग किन्तु
बुद्धि होती मोटी है।

तो यही मूल जड़ है मित्रों
बुद्धिमान ही बुद्धि का प्रयोग करता है
दिल खोलकर भ्रष्टाचार-दुराचार करता है।

तो बुद्धि से ही
आविष्कार है
आविष्कार है तो प्रदूषण है
बेईमानी है, षड्यंत्र है
राजनीति है, कूटनीति है।

आज कुछ हटकर सोच लें
सम्पूर्ण व्यवस्था ही बदल लें
यह तथ्य आत्मसात कर लेते हैं
कि बुद्धि शिक्षा से आती है
जो कुमार्ग पर चलाती है।

न रहेगी शिक्षा, न बढेगा ज्ञान
न बढेगा ज्ञान, न होगा अभिमान
न अपना, न पराया
न अच्छा, न बुरा
न पहनावा, न दिखावा।

तो आओ, आज देश के तमाम
स्कूल, कॉलेज बंद करवा देते हैं
शिक्षा का नामों निशाँ मिटा देते हैं!!! :):):)
(Education has ruined the society :))
 

9 comments:

  1. कुछ तो सुखद निष्कर्ष हों देश के।

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  2. क्या उखाड़ लिया?
    भूखा प्यासा रह के
    जैलों को भर के।

    हालात तो वैसे ही हैं
    आप, मैं और वो
    कल जैसे ही हैं।

    agree with that..
    life long mentality... not easy to part with..

    ideas are highly rebellious Dev :P

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  3. कोई दो दशक से भी पहले एक किताब लिखी गई थी उसका मूल स्वर यही था .किताब का नाम था "The deschooling society".

    मंगलवार, 28 अगस्त 2012
    आजमाए हुए रसोई घर के नुसखे
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems(हिन्दुस्तानी जबान में भी आ रहा है यह मह्त्वपूर्ण आलेख ,विषय की गभीरता और थोड़ी सी

    क्लिष्टता को देख कर लगा पहले एक बेकग्राउंडर आधारीय आलेख अंग्रेजी में दिया जाए ताकी विषय की एक झलक तो मिल जाए वायदा है समझाया जाएगा यह आलेख हिंदी में ,अभी इस श्रृंखला के तीन -चार आलेख और आने हैं ,अब तक जो इस अभिनव विषय पर आप लोगों का रेस्पोंस मिला है उससे हौसला बढ़ा है ).
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  4. कोई दो दशक से भी पहले एक किताब लिखी गई थी उसका मूल स्वर यही था .किताब का नाम था "The deschooling society".आपकी रचना अपने अलग तेवर लिए है ,कैसे भी हो कुछ हो तो .....

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  5. मन के आक्रोश को बखूबी उकेरा है

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  6. हाहा शिक्षा हटाएंगे कैसे? वो पहले समाज में मौजूद भी तो हो :P

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  7. शानदार कटाक्ष :))

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