Saturday, June 25, 2011

दिल बहलाने के लिए

मैं दिल में जगह बनाता रहा
तेरे जख्म खाने के लिए
तू नादाँ सितम ढाती रही
दिल बहलाने के लिए...

मेहंदी से घरोंदे बनाए थे मैंने
तेरे हाथों को सजाने के लिए
तू बेदर्द शूल चुभोती रही
दिल बहलाने के लिए...

फूलों की जगह पलकें बिछाई थी मैंने
तेरे कदमो की मुझ तक राहों के लिए
तू कुचलती चली गयी
दिल बहलाने के लिए... 

स्याही  की जगह अश्कों से ख़त  लिखता  रहा
मेरे  अहसास  तुझे  जताने के लिए
तू कलम से जवाब चुभोती रही
दिल बहलाने के लिए...

मैं दिल पर पत्थर चुनता रहा
तेरे सपनो का महल बनाने के लिए
तू ढहाती चली गयी
दिल बहलाने के लिए...

40 comments:

  1. दिल बहलाने के लिए...
    दिल बहलाने के लिए...



    कुछ नहीं बदला जमाने मे दशक से --

    जुल्मोसितम है आज भी |

    दिल बहलाने की बड़ी आदत पुरानी--

    है इन्हें इसका गुरुर, खुद पर नाज भी ||

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  2. किसी की जान जाती है
    कोई आनन्द लेता है!!
    --
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  3. ehsaso ko samajhna asan nahin hota......bahut sundar abivyakti

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  4. dard se bhari...shabdo se sazi abhivyakti

    bahut khub

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  5. बहुत बढ़िया रचना!
    सभी छन्द बहुत खूबसूरत हैं!

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  6. wonder full.....dil koo pasand aa gayi

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  7. बहुत कुछ कह डाला,दर्द को भी बिना जतन ख़ूबसूरती से लिख डाला
    एक गाना याद आ रहा है-----
    दिल तो दिल का ऐतबार क्या कीजे,आ गया जो किसी पे यार क्या कीजे...........

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  8. रूमानियत से लबरेज़ सुन्दर रचना.

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  9. "वो आए एक खुशनुमा झोंके की तरह ,
    गए तो आँधियों की तरह,उजाड़कर मुझे"

    इसी विषय से मिलते-जुलते आज ही यह शेर गढ़ा है !
    आपकी भावनाएँ संवेदनशील हैं !

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  10. उम्र के कोमल एहसासों को खूबसूरती से ग़ज़ल में पिरोया है.कृपया श्याही को स्याही सुधार लें.आशा है बुरा नहीं मानेंगे.

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  11. बहुत ही खूबसूरत रचना.

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  12. मैं दिल पर पत्थर चुनता रहा
    तेरे सपनो का महल बनाने के लिए
    तू ढहाती चली गयी
    दिल बहलाने के लिए..

    संवेदनशील खूबसूरत रचना....

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  13. बहुत बढ़िया रचना!

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  14. उत्तम अभिव्यक्ति

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  15. श्याही की जगह अश्कों से ख़त लिखता रहा
    मेरे अहसास तुझे जताने के लिए
    तू कलम से जवाब चुभोती रही
    दिल बहलाने के लिए...बहुत ही बढ़िया !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

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  16. Arun Nigam ji ko maargdarshan ke liye aabhar...

    truti sudhaar dee gai hai....

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  17. good one
    Thanks for visiting my blog

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  18. भावुक दिलों के अहसास .....
    शुभकामनायें !

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  19. well said bhai jaan......and ya m saying this not to only "aapka dil bahlaane k liye.." its really awesome work.......hattzz offfff.....

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  20. कोमल एहसास की ग़ज़ल .चलो दिल बहलाव का सामान ही ,सही
    किसी के काम आये .

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  21. मैं दिल पर पत्थर चुनता रहा
    तेरे सपनो का महल बनाने के लिए
    तू ढहाती चली गयी
    दिल बहलाने के लिए..

    खूबसूरत रचना.!

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  22. मैं दिल में जगह बनाता रहा
    तेरे जख्म खाने के लिए
    तू नादाँ सितम ढाती रही
    दिल बहलाने के लिए...

    वाकई बहुत अच्छी रचना...पहली बार आया, सार्थक रहा। अब ज़ुरूर आऊँगा, धन्यवाद और बधाई

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  23. खूबसूरत रचना.!

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  24. मैं दिल पर पत्थर चुनता रहा
    तेरे सपनो का महल बनाने के लिए
    तू ढहाती चली गयी
    दिल बहलाने के लिए...
    bahut hi sunder bhav
    rachana

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  25. bahut khubsurat post....

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  26. कोमल भावनाओं से भरी सुन्दर रचना....

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  27. स्याही की जगह अश्कों से ख़त लिखता रहा ,मेरे अहसास तुझे जताने के लिए
    ...beautiful

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  28. unka yoo dil bahlana to aapka dil dahlana ho gaya jee.
    Bedardee ke ehsaas me bheegee bhavuk rachana .

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  29. मैं दिल पर पत्थर चुनता रहा
    तेरे सपनो का महल बनाने के लिए
    तू ढहाती चली गयी
    दिल बहलाने के लिए

    वाह, बहुत सुंदर।
    कविता में मन की व्यथा संपूर्ण रूप से अभिव्यक्त हुई है।

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  30. awesome writing... once again.
    very intense and emotional and loved the contradictions at every next line.

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  31. दिल बहलाने के लिए ...................क्या-क्या सितम नहीं ढाया
    दिल पर लगी चोट की .......भावपूर्ण , सुन्दर और मार्मिक प्रस्तुति

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  32. हाँ बेवफाओं का पसंदीदा टाइम-पास है अपना दिल तो.. आओ.. मस्ती करो.. और जाओ..

    परवरिश पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
    आभार

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  33. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

    दिल की चाहत क्या क्या न दिखा देती है.
    चाहत इस दिल की,
    पूरी न हो तो गल्ती उनकी.

    कबीर ने संसार से उकता कर लिख ही दिया
    'रहना नहीं देश बिराना है'

    आपका मेरे ब्लॉग पर दर्शन देने के लिए
    बहुत बहुत आभार.

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  34. मेहंदी से घरोंदे बनाए थे मैंने
    तेरे हाथों को सजाने के लिए
    तू बेदर्द शूल चुभोती रही
    दिल बहलाने के लिए...
    kya bat hai mere bhai..... dil tar tar ho gaya..
    bahut hi umda...
    dhanywad....

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  35. जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।

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  36. मेरे ब्लॉग पर आपका आना बहुत सुखद लागत है.

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.

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